किस किस अदा से तूने जलवा दिखा के मारा, आजाद हो चुके थे...बंदा बना के मारा....कुछ इसी तरह का हाल इस बार मनमोहन की पुरानी टीम के साथ भी हुआ...गनीमत ये रही कि इसमें मार हल्के से पड़ी....बल्कि यूं कहे कि जिन्हें मंत्रालय की समझ नहीं थी....और जिन्होंने अपने मंत्रालयों की जिम्मेदारी ठीक से नहीं समझी...उन्हें भेज दिया गया दूसरे मंत्रालय में....रणनीति ये भी थी कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घिरे मंत्रियों का विभाग बदलकर विपक्ष को चित्त कर दिया जाए...लेकिन सरकार को कौन समझाए कि चेहरे बदलने से दाग नहीं धुलते....बहरहाल जिन दिग्गजों का बोझ घटाया गया....और दूसरे मंत्रालयों में भेजा गया...उनमें पहला नाम खेलमंत्री रहे एमएस गिल साहब का आता है...कॉमनवेल्थ खेलों में भ्रष्टाचार की मार झेल रहे गिल साहब को सांख्यिकी एवं योजना कार्यान्वयन मंत्रालय देकर दाग-दाग उजाला करने की कोशिश की गई है.....इसी तरह कॉमनवेल्थ खेलों में नाकामियों की वजह से सुर्खियां शहरी विकास मंत्री रहे जयपाल रेड्डी को भी चलता कर दिया गया...वहीं ग्रामीण विकास मंत्रालय संभालने में फिसड्डी साबित हुए सीपी जोशी को सड़क एवं परिवहन मंत्रालय थमा दिया गया....इसी तरह पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा की कार्यप्रणाली रास नहीं आया...तो उन्हें भी कॉरपोरेट डिपार्टमेंट में भेज दिया गया...वैसे भी मुरली देवड़ा साल में सात बार पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत में इजाफा कर अपनी नाकामी साबित कर दी थी....सड़क एवं परिवहन मंत्री कमलनाथ एक दिन में बीस किलोमीटर सड़क बनाने चले थे...लेकिन उनकी मेहरबानी से एक दिन में सात किलोमीटर भी सड़कें बनाने में पसीना आ जाता था....यही नहीं योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहुलवालिया के साथ भिड़ना भी उन्हें मंहगा पड़ गया...इसलिए उनको भी खोमचे में ढकेल दिया गया....चलिए बात उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल की भी कर ली जाए....वे ठहरे सहयोगी दल के मंत्री...और सरकार उन्हें उंगली तो दिखाने से रही.... इसलिए सस्ता और आसान तरीका यही था कि उन्हें प्रमोट कर कैबिनेट मंत्री बना दिया गया...दरअसल प्रफुल्ल पटेल खुद भी चाहते थे कि उनका मंत्रालय बदल दिया जाए....और उन्हें कैबिनेट का दर्जा दिया जाए.....प्रफुल्ल पटेल अपने मंत्रालय की वजह से कई बार सुर्खियों में रहे....उनके कार्यकाल में एयर इंडिया लगातार घाटे की मार झेलती रही....इस वजह से सरकार की मंशा भी उन्हें उड्डयन मंत्रालय से बेदखल करने का भी रहा होगा...जाहिर है सरकार काम में फिसड्डी साबित मंत्रियों को दूसरे मंत्रालय में भेजकर पुरानी बोतल में नई शराब पेश की है
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