Tuesday, May 12, 2009

यु तो कहने को बहुत है
पर किस से कहू
तेरी इस बेरुखी को में मुहब्बत समझू या समझू बेवफाई तेरी याद जब भी आई मेरी आँख भर आई
जब से तुम नही मिले हम से उदासी हैं छाई टरी याद जब भी आई मेरी आँख भर आई
वजह क्या हैं न मिलने की हमसे वक्त की कमी या कोई कमी मुझमे पाई तेरी याद जब भी आई मेरे आँख भर आई
तुम नही चाहते हो मिलना तो हम भी कोशिस करेंगे न मिलने की
दूर अब तुम से रहेंगे ना पड़ने देगें अपनी परछाई तेरी याद जब भी आई मेरी आंख भर आई
वंदना त्यागी की कलम से

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