Wednesday, May 12, 2010

सुष्मिता भी एक मां हैं...

सिने तारिका सुष्मिता सेन के नाम से भला कौन नहीं वाकिफ है। जी हां वही सुष्मिता सेन, जिन्होंने 1994 में मिस यूनिवर्स का खिताब जीत कर देश का नाम रोशन किया। इसके बाद ही उनका बॉलीवुड से नाता जुड़ा। भले ही फिल्मों में वो कोई खास मुकाम हासिल नहीं कर पाई। लेकिन लोग उन्हें..उनकी स्टारडम की वजह से कम। नेकनियती की वजह से ज्यादा जानते हैं.। खूबसूरत सुष्मिता की सौंदर्य में उस समय़ और इजाफा हो गया, जब साल 2001 के दौरान उन्होंने अनाथालय में पल रही एक नन्नी सी जान को गोद लेकर सारी दुनिया के लिए एक मिसाल कायम किया। उन्होंने साबित कर दिखाया था कि मां वहीं नहीं होती जो जन्म देती है। बल्कि वो भी है जिनके दिल में मां का मर्म छिपा होता है.। पर ये उनके लिए ये फैसला आसान नहीं रहा होगा। अपने करियर के साथ-साथ अपनी भावी शादीशुदा जिंदगी की तस्वीर भी उनके जेहन में रही होगी, लेकिन उन्होंने इसकी कोई परवाह नहीं की। अपनी गोद ली हुई बेटी रिनी को बिल्कुल अपने कलेजे के टुकड़े की तरह ही पाला। यानी रील लाइफ में मां को रोल भले ही कैसे भी निभाया हो। रियल लाइफ में सुष ने ये किरदार बखूबी निभाया है। रिनी अब दस साल की हो गई है, सुष ने रिनी को भले ही अपने गर्भ से जन्म नहीं दिया लेकिन उसकी शक्लोसूरत बिल्कुल सुष्मिता की तरह मिलती है। सुष्मिता की मां कहती है...बचपन में सुष्मिता बिल्कुल ऐसी ही लगती थीं... यह सचमुच ताज्जुब की बात है । बहरहाल गोद लेने के साहसी काम के लिए सुष्मिता बधाई की पात्र हैं। वो रिनी को हर साल छुट्टियों में विदेश ले जाती हैं और अच्छी मां साबित हो रहीं हैं। सुष्मिता का बेटियों से प्यार यहीं नही खत्म हुआ, अब वो 34 साल की हो चुकी है, शादी भी नहीं की हैं, लेकिन उनका ममत्व एक बार फिर कुलांचे मारने लगा और वो दूसरी बेटी आलिशा को गोद लेने के लिए कोर्ट में अर्जी लगा दी। कोर्ट ने उनके हक में फैसला दिया और आज 8 महीने की आलिशा के साथ वो बहुत खुश है। सुष्मिता कहती हैं...कोर्ट में मेरे कुछ भी आसान नहीं था। क्योंकि मै अकेली अभिभावक थी और सेलिब्रिटी भी और ये सब मेरे हक में नहीं था। रिनी की तरह आलिशा को गोद लेने का निर्णय भी उनका खुद का बोल्ड फैसला था। उन्होंने साबित कर दिया कि मां बनने के लिए किसी शख्स से शादी करना ही जरूरी नहीं। सारी इंडस्ट्री में सुष ने एक शानदार मिसाल पेश की है और आज वो खुश है अपनी दोनों बेटियों के साथ...पर रिनी और आलिशा के लिए मदर्स डे तो ताजिंदगी होगी

मां तु बहुत याद आ रही...

मां मुझे तुम बहुत याद आती हो....मां जब मैने इस दुनिया में कदम रखा तो तेरी सोंधी खुशबू में जैसे समाता चला गया.....मुझे उसी वक्त अहसास हो गया था मां...कि तू ही मेरे लिए भगवान है...तू ही मेरे लिए सब कुछ है....तेरे आंचल की ठंडी छाव में मैं रोना भूल गया था....तूने ही तो मुझे अपने सीने से लिपटाकर एक खूबसूरत रिश्ते का अहसास दिलाया था....मेरी मां....मैने जब बोलना सीखा था तो पहली बार मेरे मुंह से जो आवाज निकली थी वो मां थी....मां...मैं जब अपनी तोतली जुबान में तुझे पुकारता...तो तू खिलखिलाकर कितना हंसती थी....मुझ पर दुनिया का सारा लाड़ प्यार उड़ेल देती थी...मां... तूझे तो याद होगा...कि मैने तेरी उंगलियां पकड़कर कैसे चलना सीखा था....पर हां जब मेरे नन्हें कदम तेरी ओर बढ़ते थे... तो अपना सारा काम छोड़कर मुझ ओर दौड़ पड़ती थी....और बड़े ही प्यार से मुझे गोद में उठा लेती ...याद है मां...जब मुझे पहली बार स्कूल भेज रही थी....तब तू कितना रोयी थी....जैसे लगता था कि मैं तूझे हमेशा-हमेशा के लिए छोड़कर कहीं दूर जा रहा था....तूझसे तो एक पल की जुदाई नहीं सहा जा रहा था...पर कुछ पल के लिए ही सही...अपने दिल पर पत्थर रखकर तूने मुझे अपने से दूर किया था....आज मैं बड़ा हो गया हूं मां...मैने अपने पैरों पर चलना बखूबी सीख लिया है...मैंने तो दुनिया की हर झोंकों को सहना भी सीख लिया है....मुझे याद है मां....मैं जब पहली बार तूझसे दूर गया...तो ऐसा लगा कि तेरा संसार ही उजड़ा जा रहा ....मैं यहां दूर देस में खूब रोया थी मां....पर, वहां तेरा आंचल भीगा...तू रात को सोती सोती उठ बैठती ..तो .लब पर बस मेरा ही नाम रहता ....ये कैसा प्यार तेरा है मां......जब भी मैं ठोकर खाती था, मां तूने ही तो मुझे उठाया ...थक कर हार नहीं मानू ये तूने ही समझाया है....मैं जानता हूं मां तेरी सुबह मेरी राहें तकते हुए शुरु होती है...और शाम मेरे इंतजार में खत्म हो जाती है...मां तू तो अपने सपने भूलकर मेरे सपने को ही जीती हो...होठों से मुस्कराती हो..विरह के आंसू पीती हो....पर क्या करूं मेरी मां...मै तो मजबूर हूं....पर आज भी समझने की कोशिश करता हूं...मां तेरा ये कैसा प्यार है....आज भी जब मुझे नींद आती नहीं, गिन के तारे जब कटती हैं रातें मेरी। दर्द मेरा जब कोई समझता नहीं, याद आती है माँ बस तेरी-बस तेरी। मां तू बहुत याद आ रही...बहुत याद

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