Wednesday, April 6, 2011

छोटे गांधी की जिद

अन्ना हजारे की जिंदगी उतार चढ़ावों से भरी हुई है....बेहद ही गरीब परिवार में जन्मे अन्ना ने देश को हमेशा नई राह दिखाने का काम किया है.....महाराष्ट्र के अपने पैतृक गांव की कायापलट करने के बाद उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ दी....आज वे देश को भ्रष्टाचार से निजात दिलाने के लिए कमर कस चुके हैं....भ्रष्चार को जड़ से मिटा देने का संकल्प लेने वाली इस बूढ़ी काया...और जिद्दी इंसान आज देश का सुपरहीरो बन चुका है । बड़े अड़ियल हैं ये छोटे गांधी...कोई लालच नहीं...कोई डर नहीं...मर भी जाएं तो कोई बात नहीं...लेकिन भ्रष्चाटाचार के खिलाफ उठी आवाज को मद्धम नहीं पड़ने देंगे...जन लोकपाल बिल से कम तो कुछ भी नहीं....कोई समझौता नहीं...कोई मरव्वत नहीं....जिद हो तो ऐसी...ऐसी जिद तो सिर्फ महात्मा गांधी में ही देखने को मिलती थी....जब उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई का बिगुल फूंका था....आज वही जिद समाजसेवी अन्ना हजारे में भी देखने को मिल रही है.....लोकपाल बिल के लिए आमरन अनशन पर जा बैठे हैं अन्ना हजारे....15 जून 1938 को महाराष्ट्र में जन्मे अन्ना हजारे का असली नाम किशन बाबूराव हजारे है....बेहद ही गरीब परिवार में जन्मे अन्ना की जिंदगी की शुरुआत मुंबई के दादर स्टेशन पर फूल बेचने से शुरु होती है....लेकिन बचपन से ही महापुरुषों के विचारों पर चलने का शौक उन्हें आगे जाकर एक सामाजिक कार्यकर्ता बना देता है....परिवार का भरण पोषण की खातिर अन्ना 1960 में सेना में भर्ती हुए....1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध के दौराव वे पंजाब में सेना के ट्रक ड्राइवर की हैसियत से तैनात हुए....लेकिन बदकिस्मती से पाकिस्तान ने हवाई हमला कर दिया...जिसमें अन्ना ने किसी तरह गाड़ी से कूदकर अपनी जान बचाई....इसके बाद 1975 में अन्ना ने स्वैच्छिक सेवानिवृति ले लिया....यहीं से शुरु होती है अन्ना की सामाजिक जिंदगी....महाराष्ट्र के अहमदनगर के अपने पैतृक गांव रालेगांव सिद्धी में उन्होंने गांव वालों को सर्वांगीण विकास के लिए प्रेरित करना शुरु कर दिया....गांव के कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए उन्होंने बेहतर सिंचाई व्यवस्था, वर्षा जल को रोकने के लिए नहरों की खुदाई और मिट्टी संरक्षण में महत्वूर्ण भूमिका निभाई....नतीजतन आर्थिक निर्भरता में उनका गांव देश का रोल मॉडल बन गया....इनके प्रयासों से पूरे इलाके में अनाज बैंकों की नींव रखी गई....शिक्षा, स्वास्थ्य, शराबबंदी और सामूहिक विवाह के जरिए अन्ना ने अपने पूरे इलाके की तकदीर ही बदल दी....इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए भारत सरकार ने अन्ना हजारे को 1992 में पद्म विभूषण से नवाजा....बाद में वे सूचना के अधिकार कानून से जुड़ गए...और उसके लिए काम करना शुरु कर दिया...जिसकी बदौलत आज हम इस कानून का इस्तेमाल कर रहे हैं....इससे पहले 1989 में उन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी जनांदोलन का गठन किया...जो आज 27 जिलों के 222 ब्लॉक में फैला हुआ है....अन्ना की इस मुहिम का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि....उन्होंने महाराष्ट्र में पिछले आठ सालों के दौरान अन्ना 400 सरकारी अफसरों और 7 मंत्रियों को कुर्सी छोड़ने पर मजबूर कर दिया... अब अन्ना ने जनलोकपाल बिल लाने के लिए अपनी जिद ठान ली है....हौसले बुलंद है....और सुनहरे भारत की तस्वीर को करीब से निहारने की तमन्ना बाकी....मौत से पंगा लेने वाले इस बूढ़ी काया में जिद को अगर करीब से देखनी हो तो चले आइए दिल्ली के जंतर मंतर...देखिए कैसे इस हाड़ मांस की काया ने सरकार को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है

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