Tuesday, August 23, 2011

क्रांति का गवाह रामलीला मैदान


जहां से अन्ना भ्रष्टाचार के खिलाफ क्रांति का बिगूल फूंक रहे हैं....उस रामलीला मैदान का इतिहास बेहद पुराना है....इसी मैदान से आजादी की लड़ाई लड़ी गई...और इसी मैदान से जेपी की संपूर्ण क्रांति का शंखनाद हुआ...इसी मैदान से जय जवान जय किसान का नारा लगा....तो इसी मैदान से कहा गया सिंहासन खाली करो कि जनता आती है... रामलीला मैदान...जहां पर पूरे देश की निगाहें टिकी है....जहां से अन्ना भ्रष्टाचार के खिलाफ हुंकार भर रहे हैं....हां से क्रांति की नई इबारत लिखी जा रही है....आज वही रामलीला मैदान इतिहास के पन्नों में दर्ज होने के लिए एक बार फिर से तैयार है....यहां पर जुटे हजारों हजारों की तादात में बच्चे, युवा और बुजुर्ग इस इतिहास का गवाह बन रहे हैं......इतिहास गवाह है कि महात्मा गांधी से लेकर जयप्रकाश नरायण तक ने आंदोलन का बिगुल इस मैदान पर फूंका....128  के हो चुके रामलीला मैदान में पहली बार 1883 में अंग्रेजों ने अपने सैनिकों के लिए कैंप तैयार करवाया था...इसके बाद पुरानी दिल्ली के लोगों ने इस मैदान पर रामलीलाओं का आयोजन करना शुरु कर दिया...जिसके बाद इसकी पहचान रामलीला मैदान के तौर पर स्थापित हुई....अजमेरी गेट से लेकर तुर्कमान गेट के बीच 10 एकड़ में फैले रामलीला मैदान में एक लाख लोग खड़े हो सकते हैं....दिसबंर 1952 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कश्मीर मुद्दे को लेकर सत्याग्रह किया....देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी 1956 और 1957 में इसी मैदान पर एक विशाल जनसभा की थी....28 जनवरी 1961 को ब्रिटन की महारानी एलिजाबेथ ने रामलीला मैदान में ही एक जनसभा को संबोधित किया था....फिर 26 जनवरी 1963 में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की मौजदूगी में लता मांगेशकर ने ऐ मेरे वतन के लोगों-- गीत गाकर नेहरू जी आंखे नम कर दी थी.... इसी तरह 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ जंग में तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने जय जवान जय किसान का नारा देकर देश के वीर जवानों के साथ पहली बार किसानों का भी मान बढ़ाया था....1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश के निर्माण और पाकिस्तान के खिलाफ जंग जीतने के बाद जश्न मनाने के लिए एक बड़ी रैली की....25 जून 1975...को ये मैदान जेपी आंदोलन का गवाह बना....उन्होंने उस वक्त जनता को संबोधित करते हुए रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तिया दोहराई...सिंहासन खाली करो कि जनता आती है....जिसके बाद डरी सहमी इंदिरा सरकार ने इमरजेंसी का ऐलान कर दिया था...इसके बाद फरवरी 1977 में विपक्षी पार्टियों ने एक बार फिर इसी मैदान को अपनी आवाज जनता तक पहुंचाने के लिए चुना...जिसमें जगजीवन राम, मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी और चौधरी चरण सिंह जैसे दिग्गज एक साथ मंच पर नजर आए...इसके बाद राजनीतिक दलों सहित कई संगठनों ने रामलीला मैदान पर रैलियां और कार्यक्रम करते आए हैं....ये वही रामलीला मैदान है....जहां योगगुरु बाबा रामदेव ने काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगूल फूंका था...आज वही राम लीला मैदान में अन्ना अनशन कर एक बार फिर इतिहास दोहरा रहे हैं 

3 comments:

  1. रामलीला मैदान का देश के इतिहास में महत्‍वपूर्ण स्‍थान है .. आपके इस खसस लेख से हमारी वार्ता समृद्ध हुई है!!

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  2. जानकारी भरी पोस्ट .....!

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  3. ज्ञानवर्धन करती पोस्ट....
    सादर बधाई...

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